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Azamgarh news : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. इंदु चौधरी को बसपा ने दिया लालगंज से टिकट ,जाने पूरी कहानी।

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रिपोर्ट-@अशोक कुमार यादव आज़मगढ़
यूपी के पूर्वांचल के घोषित प्रत्याशियों में एक नया नाम खासा चर्चा में है, ये नाम डॉ. इंदु चौधरी का है,  बताते चलें कि आजमगढ़ जिले की लालगंज सुरक्षित सीट से बहुजन समाज पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है। डॉ. इंदु पहली बार कोई चुनाव लड़ रही हैं। वे पब्लिक कनेक्शन बनाने में माहिर हैं। 
ये ऐसी महिला है जो सीधे घरों में जाकर मां-बहनों से मुलाकात कर उन्हें अपनी बातों से प्रभावित करती हैं। बाहर नुक्कड़ सभाओं में तीखे तेवर वाले भाषणों से आम लोगों की बात रखती हैं। डॉ. इंदु बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। सबसे पहले वह तब चर्चा में आईं जब बीएचयू में ज्वॉइन किए हुए उन्हें महज कुछ ही दिन हुए थे, वहाँ के जानकार लोग बताते हैं कि जातिवाद के आधार पर सामान बाहर फेंके जाने का मामला उठाकर उन्होंने वहाँ हलचल मचा दी थी। यह मामला पुलिस तक पहुंचा था, इसके बाद से वह नियुक्तियों में आरक्षण, रोस्टर के अनुपालन व शोषण संबंधी मुद्दों को समय-समय पर उठाती रही हैं, अंबेडकर नगर की रहने वाली डॉ. इंदु के पिता रेलवे में टीटीई थे, उनकी स्कूली शिक्षा लखनऊ के एक कॉन्वेंट स्कूल में हुई, स्नातक, परास्नातक और पीएचडी लखनऊ विश्वविद्यालय से किया. बीएचयू में नियुक्ति से पहले लखनऊ के सैनिक स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाती थीं। डॉ. इंदु के पति महेंद्र प्रताप सिंह इंजीनियर हैं। 
सामाजिक कार्यों में रुचि रखने वाली डॉ. इंदु ने 2021 में 'बहुजन शक्ति' नाम से एक संगठन बनाया। इसके जरिये गांवों में जातिवाद, ऊंच-नीच और रूढ़ियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने लगीं। कुछ ही दिनों में सोशल मीडिया पर उनके फॉलोअर बढ़ने लगे। 
मार्च में लालगंज से बसपा की सिटिंग सांसद संगीता आजाद ने बसपा छोड़ भाजपा की सदस्यता ले ली, तो बसपा सुप्रीमो मायावती की नजर डॉ. इंदु चौधरी पर गई। बसपा सुप्रीमो मायावती ने 21 मार्च को डाॅ. इंदु को बुलवाया और तीन अप्रैल को पार्टी प्रत्याशियों की घोषित तीसरी सूची में उन्हें प्रत्याशी बनाने का एलान कर दिया। साहित्य की शिक्षक डॉ इंदु के सामने राजनीति में खुद को साबित करने और मायावती के भरोसे पर खरा उतरने की सबसे बड़ी परीक्षा है।
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन था। लालगंज सीट बसपा के कब्जे में थी। तब बसपा प्रत्याशी संगीता आजाद ने भाजपा से मैदान में उतरीं नीलम सोनकर को 1,61,597 मतों के अंतर से हराया था। भाजपा ने फिर नीलम को मौका दिया है। पर, संगीता आजाद बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गईं।
लालगंज लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में सभी पांच सीटें सपा जीतने में कामयाब रही। इनमें चार सीटों पर भाजपा व एक पर एनडीए की सहयोगी निषाद पार्टी दूसरे नंबर पर थी। बसपा आमने-सामने की भी जगह नहीं बना पाई थी। सपा ने लालगंज से दरोगा सरोज को उतारा है।
 डॉ. इंदु सावित्री बाई फुले इंटरनेशनल अवॉर्ड (यूएसए) और डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल अवॉर्ड (यूके) हासिल कर चुकी हैं। कहती हैं, बसपा से जुड़ने के बाद वह सामाजिक समस्याओं की लड़ाई और आगे ले जाएंगी।


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