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रिपोर्ट-@लक्ष्मण कुमार चौधरी
आख़िर मौत होने के बाद ही अधिकारी कर्मचारी व संबंधित जिम्मेदार लोग मामले को संज्ञान में क्यों लेते हैं, उसके पहले क्यों नही ? जैसे लगता है की मौत हो जाने तक का इंतजार करते है, जैसे ही कुछ हादसा होता है वैसे ही उन्हें अपने कर्तव्यों का ध्यान होता है और लीपापोती करने के लिए निकल पड़ते है। मामले एक ही विभाग के नही हो सकते है, कुछ सरकारी विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों की बात भी हो सकती है।
ऐसा ही एक वाक्या सामने आया है जहाँ परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। एक परिवार में असामयिक अकस्मात दो-दो मौतें हो गई। जानकारी के अनुसार पहले लंबी बिमारी के चलते पिता की मौत हो गई ठीक दो दिन बाद बेटे की भी सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है। सत्य प्रकाश के मौत से स्वजनों में त्राहि त्राहि मच जाती है, हर किसी की आंखे नम हो गई।
बता दें कि जौनपुर जिले के खुटहन थाना क्षेत्र के धमौर ख़ास गांव के रहने वाले सत्य प्रकाश विश्वकर्मा की 16 नवंबर शनिवार की शाम गुलालपुर बाजार के समीप बाइक से पास लेते समय बेसहारा पशु की टक्कर से बाइक सवार सत्यप्रकाश बुरी तरह से घायल हो जाते है, सत्यप्रकाश की मौके पर ही मौत हो जाती है। सूचना पर पहुँची पुलिस शव को कब्जे में लेकर आगे की कार्यवाही में जुट जाती है, उक्त गांव निवासी सत्य प्रकाश विश्वकर्मा (45) वर्ष खेती किसानी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। शनिवार की शाम करीब करीब 06 बजे मोटरसाइकिल से निजी काम को लेकर मल्हनी बाजार गए हुए थे। काम खत्म कर जब वह वापस लौट रहे थे कि तभी सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के गुलालपुर गांव के समीप सड़क पर अचानक बेसहारा पशु आ गया इसी बीच दूसरी गाड़ी आ गई और अनियंत्रित हो गए जिससे सत्य प्रकाश सड़क के बीचो-बीच गिर गंभीर रूप से घायल हो गए। आनन फानन में ग्रामीणो ने इलाज के लिए जिला अस्पताल भेज दिया लेकिन बीच रास्ते में ही सत्य प्रकाश ने दम तोड़ दिया।
● पाँच बच्चों के सिर से उठा पिता का साया, असमय ही पत्नी हुई विधवा-
आख़िरकार इन छुट्टा पशुओं के कारण छोटे-छोटे बच्चों के सिर से पिता का साया छिन गया, पत्नी बेसमय ही विधवा हो गई, अब बच्चों की पढ़ाई लिखाई व परवरिश करना माँ के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। यदि समय रहते जानवरों को पकड़ने की कार्यवाही की गई होती तो शायद ऐसा नही होता। एक समाचार पत्र में छपे ख़बर के अनुसार घटना के एक दिन बाद यानी कि रविवार को खण्ड विकास अधिकारी के नेतृत्व में ग्राम पंचायत अधिकारी (सेक्रेटरी) और अन्य ब्लॉक कर्मचारियों व गांव वालों की मदद से दो दर्जन से अधिक बेसहारा पशुओं को पकड़ा गया और उन्हें गौशाला भेजा गया। जिस जगह पर इतनी बड़ी तादात में बेसहारा पशुओं का झुंड रहता हो वहाँ ये घटना होना आम बात हो सकती है।
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